शुक्रवार, सितंबर 26, 2008

सुख और भोग

सुख का अर्थ वही है जो being को ( सत्ता या जीवन को ) सुस्थ, सजीव और उन्नत कर पारिपार्श्विक को उस प्रकार बना दे, -- और प्रकृत भोग तभी वहाँ उसे अभिनंदित करता है। 4
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति

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